भौचक है भुवरी
जोर-शोर से चलाया जा रहा है अभियान
नहीं रहेगा कोई निरक्षर
सभी पढ़ेंगे आगे बढ़ेंगे.
बहुत खुश है सरकार
मुनिया के साथ भुवरी भी सीख गयी है
लिखना अपना नाम
अब अंगूठा नहीं लगायेगी भुवरी
अक्षर मेले में अधिकारीयों ने उसे बताया मिसाल
मंत्री जी के हाथों दिया गया सम्मान
भौचक है भुवरी
उसे समझ नहीं आ रहा
जो सीख गयी लिखना अपना नाम
तो कौन सी पलट गयी दुनिया
और मुनीम ठेकेदारों का ईमान
जो माइक-टेंट लगा डींगे हांक रहें है
नेता, हाकिम, ओहदेदार
अभी भी नरेगा में उसे उतनी ही मजूरी मिलती है
दस टका कम
ज्यादा बोला किया विरोध तो कम बंद
बेटी का हाथ पीला करने की फ़िराक में
साहूकार के पीले पन्नों में दर्ज होता रहता है नाम
सरकार के बड़े-बड़े वादों , घोषणाओं
और भुँवरी की तमाम कोशिशों के बाद भी
इंदिरा आवास में नहीं मिल पाया मकान
जनता दरबार में जब लगायी गोहर
अधिकारियों ने उसी पर मढ़ दिया आरोप
बहुत हरामी हैं ये लोग
बेच देते हैं अपना मकान
और मासूमियत से साफ झूठ बोल देते हैं सरकार
और पेश कर दिया एक एलॉटमेंट लेटर
जिस पर भुवरी ने बना रखा था दस्तखत
लगते हुए फटकार
थाने में बंद करा देने की देते हुए धमकी
निकल दी गयी भुवरी
टेंट पंडाल फिर सजा है
नेता, मंत्री, अधिकारी सब खुश हैं
गिना रहें है अपनी उपलब्धियां
विकास के कई और प्रतिमान
भुवरी भौचक, परेशान
इन शोर शराबों के बीच खो गयी है
उसकी आवाज़.
वर्तमान साहित्य अक्टूबर २०११ में प्रकाशित
जोर-शोर से चलाया जा रहा है अभियान
नहीं रहेगा कोई निरक्षर
सभी पढ़ेंगे आगे बढ़ेंगे.
बहुत खुश है सरकार
मुनिया के साथ भुवरी भी सीख गयी है
लिखना अपना नाम
अब अंगूठा नहीं लगायेगी भुवरी
अक्षर मेले में अधिकारीयों ने उसे बताया मिसाल
मंत्री जी के हाथों दिया गया सम्मान
भौचक है भुवरी
उसे समझ नहीं आ रहा
जो सीख गयी लिखना अपना नाम
तो कौन सी पलट गयी दुनिया
और मुनीम ठेकेदारों का ईमान
जो माइक-टेंट लगा डींगे हांक रहें है
नेता, हाकिम, ओहदेदार
अभी भी नरेगा में उसे उतनी ही मजूरी मिलती है
दस टका कम
ज्यादा बोला किया विरोध तो कम बंद
बेटी का हाथ पीला करने की फ़िराक में
साहूकार के पीले पन्नों में दर्ज होता रहता है नाम
सरकार के बड़े-बड़े वादों , घोषणाओं
और भुँवरी की तमाम कोशिशों के बाद भी
इंदिरा आवास में नहीं मिल पाया मकान
जनता दरबार में जब लगायी गोहर
अधिकारियों ने उसी पर मढ़ दिया आरोप
बहुत हरामी हैं ये लोग
बेच देते हैं अपना मकान
और मासूमियत से साफ झूठ बोल देते हैं सरकार
और पेश कर दिया एक एलॉटमेंट लेटर
जिस पर भुवरी ने बना रखा था दस्तखत
लगते हुए फटकार
थाने में बंद करा देने की देते हुए धमकी
निकल दी गयी भुवरी
टेंट पंडाल फिर सजा है
नेता, मंत्री, अधिकारी सब खुश हैं
गिना रहें है अपनी उपलब्धियां
विकास के कई और प्रतिमान
भुवरी भौचक, परेशान
इन शोर शराबों के बीच खो गयी है
उसकी आवाज़.
वर्तमान साहित्य अक्टूबर २०११ में प्रकाशित